वैज्ञानिक टौटीक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में पाया कि यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाए अथवा हवन के धुएं से शरीर का संपर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फैलानेवाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है। मंगल भवन के आचार्य भास्कर आमेटाजी बताते है कि हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की। क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्ध होता है और जीवाणु नाश होता है? अथवा नही?
उन्होंने ग्रंथों में वर्णिंत हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया कि ये विषाणु नाश करती है। फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी काम किया और देखा कि सिर्फ आम की लकड़ी १ किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए । पर जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डालकर जलायी गयी तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर 94 % कम हो गया। यही नहीं उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया और पाया कि कक्ष के दरवाजे खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के 24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। बार-बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था।
यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र (research journal of Ethnopharmacology) में दिसंबर 2007 में छप चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा न केवल मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचानेवाले बैक्टीरिया का भी नाश होता है। साथ ही इससे फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो सकता है।
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हिंदू धर्म में निम्न अवसरों पर हवन किए जाने की परंपरा है…
गृह शांति
भारत में लोग किसी भी नए स्थान पर प्रवेश करने से पहले गृह शांति करवाना शुभ मानते हैं। इसलिए यहां जब
भी कोई व्यक्ति नया ऑफिस, दुकान या फिर नया घर खरीदता है तो उसमें प्रवेश करने से पहले हवन किया जाता है ताकि उस जगह का शुद्धिकरण कर नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सके।
बच्चे के जन्म पश्चात
परिवार में बच्चा पैदा होने पर ग्रहों की शांति के लिए हवन किया जाता है ताकि उस बच्चे के जीवन में किसी प्रकार
की बाधाएं ना आएं।
विवाह
हिन्दू धर्म में शादी-विवाह हवन के माध्यम से पूर्ण किए जाते हैं। अग्नि के 7 फेरे लेकर शादी के बंधन को
पवित्र किया जाता है।
मृत्यु पश्चात आत्मा की शांति हेतु
अगर किसी परिवार में कोई मृत्यु हो जाए तो उस मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए हवन किया जाता है।
सत्यनाराण की पूजा के दौरान
घर की शुद्धि के लिए या मन की शांति के लिए घरों में भगवान सत्यनारायण की कथा कराई जाती है। इस दौरान हवन किया जाता है और आम की लकड़ियों के धुएं से घर के वातावरण को पवित्र बनाया जाता है।