जब रंगभेद के कारण अमेरिकी होटल में लोहिया को नहीं जाने दिया, फिर हुआ ये नजारा

संकलन: गोपाल अग्रवाल
उन दिनों डॉ. राम मनोहर लोहिया अमेरिका दौरे पर थे। वहां कई विश्वविद्यालयों में और नागरिक अधिकार संगठनों में उनके लेक्चर हो रहे थे। 27 मई 1964 को वे अमेरिका के जैक्सन शहर पहुंचे, जहां एक कॉलेज में उनका लेक्चर था। उनके साथ स्थानीय मेजबान रुथ स्तेपन थीं। हवाई अड्डे पर स्वागत के बाद लोहिया अमेरिकी मित्रों के साथ सीधे एक होटल में खाना खाने गए, किंतु उन्हें होटल में घुसने नहीं दिया गया, क्योंकि होटल में सिर्फ गोरे ही जा सकते थे। लोहिया मानते थे कि राष्ट्रों की सीमाएं भौगोलिक बंटवारा है, परंतु इंसान के साथ कहीं भी बंटवारा नहीं होना चाहिए।

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विदेशी धरती पर लोहिया रंगभेद का यह अन्याय सहन नहीं कर सके। उन्होंने वहीं पर आंदोलन की घोषणा की कि अगले दिन वे फिर आएंगे और जबरन उसी होटल में प्रवेश करेंगे। दूसरे दिन लोहिया तय समय पर होटल पहुंचे। उन्हें प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया। पुलिस पहले से बुला ली गई थी। वहां अपने संबोधन में लोहिया ने किसी भी मानव का रंगभेद के कारण नागरिक अधिकारों से वंचित किए जाने को जंगलीपन कहा। पुलिस और होटल मैनेजर ने लोहिया से वापस जाने को कहा, लेकिन लोहिया नहीं माने। तब पुलिस अधिकारी ने आगे बढ़कर कहा, ‘मुझे खेद है, आपको गिरफ्तार करना पड़ेगा।’

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लोहिया के गिरफ्तार होने की सूचना अमेरिका में करंट की तरह फैल गई। भारतीय दूतावास के अधिकारी होटल पहुंचे। एक भारतीय की अमेरिका में रंगभेद के कारण गिरफ्तारी पर अमेरिकी साख को भी बट्टा लगता दिखा। अमेरिकी गृह विभाग के भी अधिकारी हरकत में आए और लोहिया रिहा किए गए। आनन-फानन में अमेरिकी गृह विभाग ने उनसे माफी मांगने के लिए एक बड़े अधिकारी को उनके पास भेजा। तब लोहिया ने कहा, ‘माफी मुझसे क्यों? अमेरिकी राष्ट्रपति को दुनिया के तमाम अश्वेत लोगों से माफी मांगनी चाहिए, जिनके प्रति गोरी चमड़ी वाले अन्याय कर रहे हैं।