जब मैं खुद पर हंसता हूं तो मेरा खुद का बोझ हलका हो जाता है।
रवींद्रनाथ
मनुष्य बराबर के लोगों की हंसी नहीं सह सकता क्योंकि उनकी हंसी में ईर्ष्या, व्यंग्य और जलन होती है।
प्रेमचंद
उत्साह से बढ़कर कोई दूसरा बल नहीं। उत्साही इंसान के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
वाल्मीकि
जिसने छोटे-छोटे रसों को जीतने का प्रयत्न नहीं किया, वे ऐन मौके पर उसे दगा दे जाते हैं।
महात्मा गांधी
प्रेम थकान को मिटाता है। दुख को सुख में बदलता है। प्रेम ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान है।
हरिभाऊ उपाध्याय