सन 1892 में जिला मुरादाबाद की तहसील बिलारी के गांव हरियाना में एक किसान के घर जन्मे केशव शरण जैन, गांधी जी से प्रभावित होकर भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए। अंग्रेजों के प्रति उनका आक्रोश इतना प्रबल था कि उन्होंने कक्षा 8 तक अपने पुत्र को अंग्रेजी विषय ही नहीं दिलवाया। गांव में रहने वाला अंग्रेजों का चाटुकार जमींदार केशव शरण जैन की अंग्रेज विरोधी गतिविधियों से इस कदर नाराज था कि उनके पुत्र सहित पूरे परिवार की हत्या की सुपारी दे डाली। लेकिन जब हत्या करने वालों ने उनकी सहृदयता और गरीबों से हमदर्दी के चर्चे सुने तो खुद मिलने आए और उनके पैर छूकर चले गए। अपनी साफगोई के चलते उन्हें आसपास का पूरा इलाका लाट साहब कहकर पुकारता था। राजनीतिक हलके में उन्हें सभी छोटे और वरिष्ठ नेता ताऊ जी कहकर सम्मान देते थे।
केशव शरण जैसे अनगिनत सेनानियों के नि:स्वार्थ संघर्ष और बलिदान का फल है देश की आजादी। आजादी के बाद केशव शरण जैन ने अपनी देश-भक्ति के संघर्ष के बदले में कोई पेंशन लेना स्वीकार नहीं किया। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने हमें यह मंत्र दिया कि देश और समाज की सेवा में समर्पित रहना ही सच्चा जीवन है।
संकलन : चंदन कुमार झा