चमत्‍कारी मंदिर, जहां सैकड़ों गोले हो गए बेअसर, सेना के जवान करते हैं पूजा

धर्म स्थलों के मामले में भारत काफी समृद्ध है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें देखने विदेशों से लोग आते हैं। कई चमत्कारी मंदिर भी हैं, जिनकी कहानियां काफी प्रसिद्ध हैं। इन चमत्कारी मंदिरों में एक ऐसा मंदिर भी है, जिसका चमत्कार किसी व्यक्ति की प्रार्थन से नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़ा है। मंदिर का चमत्कार युद्ध में भारतीय सेना की सुरक्षा से जुड़ा है और यही वजह है कि इस मंदिर में पूजा का जिम्मा भी सेना के पास ही है। जी हां, इस मंदिर ने भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान ऐसे चमत्कार दिखाए कि अब हर कोई इससे हैरान है।

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यह मंदिर है जैसलमेर का तनोट माता का मंदिर। इस मंदिर में पूजा का काम बीएसएफ की ओर से किया जाता है। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास ही बना ये मंदिर सिर्फ आम लोगों के लिए ही आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि सेना के जवानों की भी इस मंदिर में आस्था है। ये मंदिर राजस्थान के जैसलमेर से करीब 130 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है, जिसे तनोट माता या आवड़ माता के नाम से जाना जाता है। तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का एक रूप माना जाता है, जो वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला जिले में स्थित है। स्थानीय लोग इस मंदिर में हमेशा से आते रहे हैं, लेकिन जब मंदिर में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में चमत्कार देखे गए तो इसका गुणगान काफी दूर तक होने लगा।

कौन-कौन से हुए चमत्कार

बात सितंबर 1965 की है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ था। तनोट पर आक्रमण से पहले दुश्मन पूर्व में किशनगढ़ से 74 किमी दूर बुइली तक पश्चिम में साधेवाला से शाहगढ़ और उत्तर में अछरी टीबा से छह किलोमीटर दूर तक कब्जा कर चुका था। तनोट तीन दिशाओं से घिरा हुआ था। अगर दुश्मन तनोट पर कब्जा कर लेता तो वह रामगढ़ से लेकर शाहगढ़ तक के इलाके पर अपना दावा कर सकता था। ऐसे में तनोट पर अधिकार जमाना दोनों सेनाओं के लिए महत्वपूर्ण बन गया था। 17 से 19 नवंबर 1965 को पाकिस्तान ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी आक्रमण किया।

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कई बम का भी नहीं हुआ असर

एक रिपोर्ट के अनुसार, दुश्मन ने तनोट माता के मंदिर के आसपास के क्षेत्र में करीब तीन हजार गोले बरसाए पंरतु अधिकांश गोले अपना लक्ष्य चूक गए। अकेले मंदिर को निशाना बनाकर करीब 450 गोले दागे गए परंतु चमत्कारी रूप से एक भी गोला अपने निशाने पर नहीं लगा और मंदिर परिसर में गिरे गोलों में से एक भी नहीं फटा और मंदिर को खरोंच तक नहीं आई। आज भी इस मंदिर में कई गोले मौजूद हैं, जो मंदिर में गिरे मगर ब्लास्ट नहीं हुए।

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सेना के जवान करते हैं पूजा

1965 के युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल ने यहां अपनी चौकी स्थापित कर इस मंदिर की पूजा-अर्चना एवं व्यवस्था का कार्यभार संभाला तथा वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन और संचालन सीमा सुरक्षा बल की एक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। मंदिर में एक छोटा संग्रहालय भी है जहां पाकिस्तान सेना द्वारा मंदिर परिसर में गिराए गए वे बम रखे हैं जो नहीं फटे थे।