मंगेशी मंदिर
दोवा के मंगेशी मंदिर के मुख्य आराध्य श्री मंगेश हैं जिन्हें ‘मंगिरीश’ भी कहा जाता है। इन्हें भगवान शिव का अवतार कहा जाता है। यह गोवा के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को डराने के लिए शेर का वेष बना रखा था।यह मंदिर शिवजी की इसी लीला को दर्शाता है।
ताम्बडी सुरला महादेव मंदिर
इस मंदिर तक का पहुंचने का रास्ता बड़ा ही रोमांचक है। हर तरफ अात्मिक शांति मिलेगी। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा रामचंद्र के मंत्री हेमाद्री ने करवाया था। यह गोवा का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यहां आपको नदियों की कलकल ध्वनि और चिड़ियों की आवाज चारों तरफ सुनने को मिलेगी। यहां पर एक वॉटरफॉल भी है, जो घने जंगलों के बीच में है। यहां प्रकृति की सुंदरता मन को मोह लेती है।
शांता दुर्गा मंदिर
शांता दुर्गा मंदिर को गोवा में शांतेरी के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर में आपको भारतीय और पुर्तगाली शैली का मिश्रण दिखेगा। इस मंदिर की सभी खिड़कियां रोम की वास्तुकला को दिखाती है और रंगीन कांचों से परिपूर्ण हैं। कहा जाता है कि बंगाल की क्षुब्धा दुर्गा गोवा में आकर शांत हो गईं और शांता दुर्गा के नाम से पूजी जाने लगीं।
रामनाथ मंदिर
रामनाथ मंदिर सारस्वत ब्राह्मण और दैवदन्या ब्राह्मण (कावाले मठ व काशी मठ से संबंधित) के अंतर्गत आता है। मान्यता है कि भगवान राम रावण से युद्ध के बाद पश्चाताप में डूब गए। इससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी इसलिए उन्हें रामेश्वर या रामनाथ कहा जाता है। रामनाथ मंदिर में खास तरह के कपड़े पहनने पर ही दर्शन किए जा सकते हैं।
महालसा नारायणी मंदिर
महालसा मंदिर, गोवा के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार मोहनी को समर्पित है, जिन्होंने राक्षसों से अमृत छिनने के लिए यह अवतार लिया था। मंदिर में महालसा के चार हाथ हैं। इस मंदिर के आतंरिक भाग में सुंदर नक्काशी देख सकते हैं।
भगवती मंदिर
बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। इस मंदिर में देवी भगवती की सुंदर प्रतिमा विशेष रूप से देखने योग्य है। साथ ही यहां मंदिर में हाथियों के आकार की दो प्रतिमाएं काले पत्थरों से बनाई गई है। यह मंदिर अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां के सुंदर प्राकृतिक नजारे पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
बाम जीसस चर्च
16वीं शताब्दी में बना यह गोवा का सबसे चर्चित चर्च है। यहां 450 साल से सेंट फ्रांसिस जेवियर का पार्थिव शरीर चांदी की एक ताबूत में सुरक्षित रखा गया है। जिसे हर 10 साल बाद दर्शनार्थ हेतु बाहर रखा जाता है। यह चर्च संपूर्ण विश्व से हजारों ईसाई या गैर ईसाई पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पूरा चर्च जेसुइट वास्तुकला के सिद्धांतों पर निर्मित है।