गुरु गोबिंद सिंहजी की इन बातों के कारण सिख नहीं खाते तंबाकू

क्या आपने कभी किसी सिख को तंबाकू और सिगरेट पीते देखा है, शायद ही देखा होगा। दरअसल सिख तंबाकू का सेवन नहीं करते और इसकी वजह है सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंहजी। प्राचीन मत के अनुसार 2020 में सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंहजी का जन्मदिन 2 जनवरी को मनाया जा रहा है। इनका जन्म 1666 ई. में हुआ था। इन्होंने सिख धर्म के पवित्र धर्म ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहब को पूरा किया। गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। इन्होंने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए, जिन्हें ‘पंच ककार’ के नाम से जाना जाता है। गोविंद सिंह के संदेश के अनुसार ही खालसा सिखों में पांच चीजों को अनिवार्य माना जाता है। ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा।सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंहजी ने जाप साहिब, अकाल उस्तत, बिचित्र नाटक, चंडी चरित्र, शास्त्र नाम माला, खालसा महिमा, जफरनामा जैसे अनकों रचनाएं लिखीं। इन्होंने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अनेक उपदेश भी दिए। जीवन को अनुशासित बनाकर जीने के लिए गोबिंद सिंहजी ने 4 चीजों को कुरहितों में शामिल किया है जिनमें एक है तंबाकू। गोबिंद सिंहजी ने बताया कि किसी भी तरह तंबाकू का सेवन मत करना।गुरु गोबिंद सिंहजी ने तंबाकू सेवन से क्यों किया मनातंबाकू को वैज्ञानिक तौर पर भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है। तंबाकू के बुरे परिणाम को जानते हुए ही गुरु गोविंद सिंहजी ने यह संदेश दिया था। इस संदेश के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है। एक बार गुरु गोबिंद सिंहजी अपने अनुयायियों के साथ कहीं जा रहे थे। चलते-चलते रास्ते में उन्हें तंबाकू का पौधा दिखा। गोबिंद सिंहजी वहीं ठहर गए और शिष्यों को भी रुकने को कहा। गोबिंद सिंहजी घोड़े से उतरकर ताबांकू के पौधे के पास गए और उसे उखाड़कर फेंक दिया।तंबाकू कर देता है कई पीढियों को बर्बादगुरुजी को ऐसा करते देख सभी शिष्य आश्चर्य में पड़ गए। उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि गुरुजी ने ऐसा क्यों किया। असमंजस में पड़े एक शिष्य ने गुरुजी से ऐसा करने का कारण पूछा। शिष्य के प्रश्न को सुनकर गुरु गोबिंद सिंहजी ने जवाब दिया, शराब सिर्फ पीने वाले की एक पीढ़ी को बर्बाद करता है लेकिन तंबाकू उसकी कई पीढ़ियों को बर्बाद कर देता है। तंबाकू को बुरी लत बताते हुए गुरु गोबिंद सिंहजी ने इससे होने वाली बीमारियों के बारे में अपने शिष्यों को समझाया। गुरु की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए सिख समुदाय के लोग ताबंकू के सेवन को गलत मानत हैं और इनसे परहेज रखते हैं।