गणेश चतुर्थी आजः 21 दिन इस गणपति के दर्शन से मनोकामना होगी पूरी

देश की इकलौती ऐसी मूरत है गणपति की

पिता भगवान शिव से युद्ध में मस्तक कट जाने के बाद गजासुर का मस्तक गणपति के धड़ से जोड़ दिया गया इसके बाद गणेश गजानन हो गए। इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा इस घटना की याद दिलाती है। संभवतः देश में यह इकलौती मूर्ति है, जिसमें गणेश जी गजमुख नहीं हैं, आमतौर पर तस्वीरों और मूर्तियों में इन्हें गजमुख ही दिखाया गया है। लेकिन इस मंदिर में फोटो खींचने की मनाही है।

महाराजा दूरबीन से करते थे प्रतिदिन दर्शन

आपको बतादें कि गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण इस तरह से कराया गया है कि शाही परिवार के निवास स्थान ‘चंद्र महल’ से भी जयपुर राजपरिवार के सदस्य दूरबीन से गणपति के दर्शन कर सकें। कहा जाता है कि प्रतिदिन सुबह महाराजा जय सिंह स्नानादि से निवृत्त होकर महल से ही गणपति के दर्शन कर प्रणाम करते थे।

इस तरह होती है मनोकामना पूरी

इस मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि यदि कोई भक्त नियमित रुप से 21 बुधवार इस मंदिर में गणपति के दर्शन करता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मंदिर में प्रतिदिन मंत्रोच्चार के साथ भगवान गणेश को प्रसाद चढ़ाया जाता है। यहां दो बड़े मूषक भी हैं, जिनके कान में दर्शनार्थी अपनी मन्नत कहते हैं। वैसे तो मंदिर में रोजाना ही भक्त गणपति के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं, लेकिन बुधवार को यहां अच्छी-खासी भीड़ रहती है।

करीब आधा घंटे का है सीढ़ियों का रास्ता

हर साल भाद्र पक्ष में गणेश चतुर्थी को यहां मेला लगता है और हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में यह मंदिर ब्रह्मपुरी क्षेत्र गैटोर के पास स्थित है। गैटोर तक निजी वाहन या फिर टैक्सी कार से पहुंचा जा सकता है। इसके आगे मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का सुरक्षित रास्ता है। सीढ़ियों से मंदिर तक पहुंचने में करीब आधा से एक घंटे का वक्त लगता है। जब आप मंदिर परिसर में पहुंचकर शहर की तरफ नजर दौड़ाते हैं और पूरा शहर नजर आता है। इस मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने पर थकान होने की बजाय थकान दूर हो जाती है।