खलीफा ने गुरु को बताया सबसे बड़ा, बोले गुरुओं के कृपापात्र बनने से संस्कारवान होते हैं बच्चे

बगदाद के एक मदरसे में उस्ताद फर्राह के पास दो सुंदर बालक फर्श पर बैठकर उनसे पढ़ रहे थे। थोड़ी देर बाद मौलवी जी खड़े हुए और बोले, ‘भाई मेरी जूतियां उठा लाओ मैं बाहर जा रहा हूं’। दोनों बालक एक-एक जूती हाथ में लेकर मौलवी साहब के पास आ गए। वे दोनों भाई बगदाद के खलीफा मामूं रशीद के बेटे थे।

खलीफा बादशाह से भी बड़ा होता है क्योंकि बादशाह के पास सिर्फ हुकूमत होती है जबकि खलीफा के पास हुकूमत के साथ मजहबी ताकत भी होती है। इसी वजह से मामूं रशीद को तख्त और मस्जिद दोनों जगह सत्ता हासिल थी। बच्चों से जूतियां उठवाने की बात पता चली तो उन्होंने तुरंत मौलवी को दरबार में बुलवा लिया। मौलवी के होश फाख्ता हो गए। दरबार में पहुंचे तो खलीफा ने पूछा, ‘मौलवी साहब, एक बात पूछता हूं कि दुनिया में सबसे बड़ा कौन है, सबसे ज्यादा इज्जत किसकी है?’ मौलवी फर्राह को बात समझ नहीं आई फिर भी बोले, ‘हुजूर, आज तो दुनिया में सबसे बड़े आप हैं, सबसे ज्यादा इज्जतदार भी हैं क्योंकि आप खलीफा हैं।’ खलीफा ने काटते हुए कहा, ‘नहीं, आज तो दुनिया में उस्ताद फर्राह सबसे बड़े हैं, इज्जत भी उनकी सबसे ज्यादा है क्योंकि खलीफा के बच्चे भी उनकी जूतियां उठाते हैं।’

मौलवी साहब माफी मांगते हुए कहने लगे, ‘हुजूर, मैंने बहुत बड़ी गलती की, अल्लाह के नाम पर मुझे माफ कर दीजिए।’ खलीफा ने हंसकर कहा, ‘आप डरते क्यों हैं? ये मैंने कोई झूठ नहीं कहा। आप मेरे बच्चों के उस्ताद हैं। इसलिए आप ही बड़े हैं और आपकी ही सबसे ज्यादा इज्जत है। मुझे बहुत खुशी है कि मेरे बच्चे आप की खिदमत करते हैं, इससे मेरी भी इज्जत बढ़ती है। अखलाक़ और तहजीब के संस्कार जिन बच्चों में प्रारंभ से डाल दिए जाते हैं, वे जिंदगी भर गुरुओं की कृपा पात्र तो बने रहते हैं, संस्कारवान भी होते हैं।’

संकलन : निर्मल जैन