उस महान लड़की को कोई नहीं जानता, बुद्ध ने ऐसे दिलाई पहचान

एक बार बुद्ध एक मरुस्थल प्रदेश में गए। उनसे मिलने की उत्कंठा में वहां का राजा उनके पास पहुंचा। राजा को बहुत दिनों से एक सवाल परेशान कर रहा था, जिसे उसने बुद्ध से पूछा। राजा का सवाल था कि क्या इस संसार में कोई ऐसा व्यक्ति भी है, जो महान हो, लेकिन उसे कोई जानता न हो? सवाल सुनकर बुद्ध मुस्कराए और बोले, ‘वास्तव में दुनिया में ऐसे कई असाधारण लोग हैं, जो महान मनुष्यों से भी महान हैं। हालांकि उनकी महानता के गीत नहीं गाए जाते।’ यह सुनकर राजा ने आश्चर्य से बोला, ‘ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई महान हो, लेकिन लोग उसकी महानता से वाकिफ न हों?’

गौतम बुद्ध ने राजा के सवाल का जवाब नहीं दिया, पर उसे अपने साथ लेकर एक गांव की ओर चल पड़े। काफी दूर चलने के बाद उन्हें एक साधारण-सी लड़की नजर आई। वह एक पेड़ के नीचे घड़े में पानी भरकर बैठी थी। गर्मी में लगातार चलने से राजा और बुद्ध थक चुके थे। उन्होंने लड़की से पानी मांगकर पिया। गर्मी से राहत मिली तो दोनों की जान में जान आई। राजा ने लड़की को देने के लिए पैसे निकाले तो उसने पैसे लेने से इनकार कर दिया।

वह बोली, ‘हे राजन! मैं कोई व्यवसाय नहीं करती। आप इस हरे-भरे विशाल पेड़ को देखो, यह किसी से कुछ नहीं मांगता। निःस्वार्थ भाव से सभी को अपनी छांव के जरिए गर्मी में राहत देते हुए साधना कर रहा है। इसलिए मैं दूर से घड़े में पानी भरकर यहां बैठती हूं ताकि इस पेड़ को पानी दे सकूं और आने-जाने वालों को गर्मी, प्यास, थकान से राहत पहुंचा सकूं।’ उस लड़की ने आगे कहा, ‘हे राजन! मेरे पानी पिलाने की इस सेवा से मुझे असीम शांति मिलती है।’ यह सुनकर राजा को भी संतुष्टि मिली और उसे अपने सवाल का जबाव भी मिल गया।

संकलन : आर.डी. अग्रवाल ‘प्रेमी’