एक दिन पहले भगत सिंह जयदेव कपूर के पास आए और बोले, ‘कल असेंबली में बम फटने के बाद इतिहास बदल जाएगा। अंग्रेजों को उलटे पांव भागना होगा। हम जैसे क्रांतिकारी इस पावन धरती पर जन्म लेते रहेंगे। आने वाली पीढ़ियों के पास हमारी कुछ निशानियां रह जानी चाहिए।’ जयदेव उनकी बातों का कुछ-कुछ मतलब समझ गए थे। वह बोले, ‘अच्छा तो कल की विजय से पहले आप अपनी कुछ निशानी देने आए हैं।’ भगत सिंह ने मुस्कराकर हामी भरी। इसके बाद उन्होंने अपने जूते और एक पॉकेट घड़ी उन्हें देते हुए कहा, ‘यह घड़ी बड़ी अनमोल है। महान क्रांतिकारी शचींद्रनाथ सान्याल से भेंट में मिली थी। इसे तुम रखो।’
कुछ देर के लिए चुप्पी छा गई। फिर भगत सिंह बोले, ‘जयदेव मुझे वचन दो कि तुम आजादी की इस मशाल को जला कर रखोगे, इसे कभी बुझने न दोगे। जब तक यह देश स्वतंत्र नहीं हो जाता आजादी की मशाल को जलते रहना है।’ जयदेव कपूर से वचन लेकर भगत सिंह वहां से चले गए। दूसरे दिन भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली हॉल में बम फेंका, उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया और फांसी की सजा सुनाई गई। जयदेव कपूर ने भगत सिंह की दी घड़ी और जूते को सहेज कर रखा और आजादी की मशाल को लगातार जलाए रखने का संकल्प लिया।– संकलन: रेनू सैनी