आखिर महात्‍मा बुद्ध को क्‍यों परेशान करवाती थी यह महारानी

बात उन दिनों की है जब गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ घूम-घूमकर उपदेश दे रहे थे। कौशांबी की महारानी जाने क्यों उनसे द्वेष रखती थीं। बुद्ध को लोग महापुरुष मानें यह बात उन्हें बहुत चुभती थी। एक बार उन्होंने बुद्ध को कौशांबी आने का संदेश भिजवाया। उन्होंने यह सोचकर बुद्ध को आमंत्रण भिजवाया कि जब वे यहां आएंगे तो उन्हें खूब परेशान करवाया जाएगा। बुद्ध ने महारानी के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और वे अपने शिष्यों सहित कौशांबी आ गए।

अब महारानी ने अपने सिखाए-पढ़ाए अनुचरों से बुद्ध को परेशान कराना आरंभ कर दिया। जहां-जहां वे आते-जाते या उपदेश देते, वहां-वहां वे लोग पहुंच जाते और बुद्ध के कार्य में तरह-तरह की बाधाएं खड़ी करते। वे बुद्ध के साथ-साथ उनके शिष्यों को भी परेशान करते। बुद्ध शांत बने रहे। इसी तरह कुछ समय बीता। इन सबसे बुद्ध का एक शिष्य बहुत परेशान था। उसकी सहनशीलता अब जवाब दे गई थी। हैरान-परेशान होकर वह बुद्ध से कहने लगे, ‘भंते! इन लोगों ने तो बहुत परेशान कर रखा है। सहन नहीं होता। कहीं और चला जाए।’

बुद्ध ने कहा, ‘यदि वे लोग वहां भी आ गए तो?’ ‘तो हम लोग और कहीं चले जाएंगे’, शिष्य ने कहा। बुद्ध ने फिर कहा, ‘यदि ये लोग दूसरे ठिकाने पर भी आ गए, तो?’ शिष्य ने कहा, ‘भंते, वे लोग वहां आ गए तो हम फिर से ठिकाना बदल लेंगे?’ बुद्ध ने उस शिष्य को समझाया, ‘देखो, बाधाओं और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से कतराना नहीं चाहिए। उनसे पलायन नहीं, बल्कि उनका सामना करना चाहिए। मुश्किलें तो सारी जगहें आ सकती हैं। इसलिए सही मार्ग तो यह है कि अपनी सहनशक्ति को ही बढ़ाना चाहिए। उससे जीवन का मार्ग सरल बन जाता है।’ अब शिष्य बुद्ध की बात को समझ चुका था।

संकलन : ललित गर्ग