आखिर क्‍या थी वजह कि स्‍वामी राम तीरथ ने महिला से भिक्षा नहीं ली

एक बार स्वामी राम तीरथ भिक्षा मांगने एक द्वार पर पहुंचे। उन्होंने आवाज लगाई, परंतु अंदर से जवाब नहीं आया। उन्होंने फिर आवाज लगाई। अब भीतर से एक महिला आई और स्वामीजी पर चिल्ला पड़ी। स्वामीजी ने इसका कारण जानना चाहा, तो महिला ने कहा कि वह अभी इस घर में ब्याह कर आई है और उसका पति बेरोजगार है। इस वजह से वह परेशान रहती है। स्वामी जी वहां से निकलने लगे तो महिला ने भिक्षा देनी चाही। स्वामीजी ने कहा कि वह कुछ दिन बाद आएंगे।

कुछ दिनों बाद स्वामीजी आए और भिक्षा के लिए आवाज लगाई। इस बार महिला ने स्वामीजी को बताया कि उसके पति को रोजगार मिल गया है और अब वह काफी प्रसन्न है। स्वामीजी ने भी खुशी-खुशी उससे भिक्षा ले ली। अब महिला ने स्वामीजी से पूछा, ‘पहले दिन आपने भिक्षा क्यों नहीं ली?’

स्वामीजी ने महिला को समझाया, ‘पहले दिन जब मैं आया था, तब तुम्हारे पास धन का अभाव था। तब की भिक्षा मेरे लिए बासी होती। पर अब तुम्हारे पति के पास रोजगार है, और वह अपनी कमाई का ताजा धन लाता है। इसलिए अब ताजा भिक्षा मिलेगी।’

स्वामी राम तीरथ आगे बोले, ‘मां-बाप का छोड़ा धन गाढ़े वक्त के लिए होता है, जो बासी होता है। असली भिक्षा अपने कमाए ताजे धन से ही दी जाती है। मानव को जोड़कर रखे धन पर आश्रित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सदैव ताजा धन कमाने की कोशिश करनी चाहिए। हम जुड़े धन पर ही आश्रित रहेंगे तो वह एक दिन खत्म हो जाएगा और हमारी मेहनत करने की आदत भी जाती रहेगी। इससे शरीर रोगी होगा, जीवन का सत्यानाश हो जाएगा।’ यह सुनते ही महिला बोली, ‘स्वामीजी, अब से मैं भी काम करूंगी।’ स्वामीजी बोले, ‘बिलकुल, कर्म तो सबको करने चाहिए। यह मानव का मूल स्वभाव भी तो है।’
संकलन : आर.डी.अग्रवाल ‘प्रेमी’