अमरनाथ गुफा: सिर्फ 1 नहीं यहां 3 शिवलिंग बनते हैं

अमरनाथ की पवित्र गुफा के बारे में यह तो आपको पता है कि यहां गुफा के अंदर बिखरी हुई कच्ची बर्फ के बीच एक ठोस बर्फ से बना हिमलिंग (बर्फ से बना शिवलिंग) निर्मित होता है। क्योंकि यह हिमलिंग खुद बनता है इसलिए इसे स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि इस शिवलिंग के अलाव इस गुफा में दो हिमलिंग और बनते हैं, जो इस मुख्य हिमलिंग की तुलना में कहीं अधिक छोटे होते हैं। इन हिमलिंग को माता पार्वती और भगवान गणपति का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।

पवित्र गुफा श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है। पवित्र गुफा की लंबाई (भीतरी गहराई) 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है। इस गुफा के भीतर इन शिवलिंक के अतिरिक्त एक और मुख्य देवी स्थान है। यह है माता सती का शक्तिपीठ। जब माता पार्वती ने देवी सती के रूप में जन्म लेकर भगवान शिव की भक्ति की थी और उन्हें पति रूप में प्राप्त करने के लिए जतन किए थे, उस समय सती के पिता ने भगवान शिव को अघोरी और धूनी रमानेवाला कहकर उन्हें अनदेखा किया था। मन ही मन शिव को पति मान चुकी सती ने पिता द्वारा शिव का अपमान देखकर हवनकुंड में आत्मदाह कर लिया।

इससे व्यथित होकर भगवान शिव उनके शरीर को भुजाओं में उठाकर पूरे ब्रह्मांड में बेचैन होकर भटकने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। ताकि शिव के क्रोध को शांत किया जा सके। माता सती के शरीर के 51 टुकड़े हुए और जिस जगह जो अंग गिरा वहां शक्तिपीठ बन गया। माता सती का कंठ प्रदेश अर्थात गला इसी गुफा पर गिरा था। इसलिए इस गुफाक्षेत्र में माता सती का शक्तिपीठ भी स्थित है।