अमरनाथ गुफा की 10 रहस्यमय और हैरान करनेवाली बातें

इसलिए है नाम अमरनाथ गुफा

बर्फीली बूंदों से बनता है प्राकृतिक हिम शिवलिंग। भगवान शिव ने इसी गुफा में माता पार्वती को अमृत्व का रहस्य बताया था इसलिए इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाता है।

पार्वती शक्तिपीठ और 51 शक्तिपीठ

इस गुफा में पार्वती शक्तिपीठ स्थित है। यह शक्ति पीठ माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। धार्मिक मान्यता है कि इस जगह पर माता सती का कंठ गिरा था।

कबूतर का जोड़ा और शिव-पार्वती

जानकारी के अनुसार, गुफा में कबूतर का एक जोड़ा रहता है। इस जोड़े को अमर बताया जाता है। मान्यता है कि कबूतर का यह जोड़ा जिस किसी भी श्रद्धालु को दिखाई देता है, स्वयं शिव-पार्वती उस भक्त को दर्शन देकर मोक्ष प्रदान करते हैं।

शिवलिंग का स्त्रोत क्या है?

इस गुफा के बारे में हैरान करनेवाली बात यह है कि बर्फ का शिवलिंग बनने के लिए गुफा में पानी का स्त्रोत क्या है, यह अब तक एक अनसुलझी पहेली है।

कच्चा और मुलायम बर्फ

इस हिमलिंग के आस-पास जो बर्फ फैला रहता है वह कच्चा और मुलायम होता है। जबकि हिमलिंग का बर्फ ठोस होता है।

शिव ने पार्वती को बताया यह रहस्य

अमरत्व का रहस्य न जानने के कारण देवी पार्वती का जन्म और मृत्यु चक्र चलता रहता था जबकि शिव अमर हैं। इस कारण माता पार्वती जन्म और मृत्यु के चक्र से गुजरतीं और शिव को पति रूप में प्राप्त करतीं। जबकि शिव अपनी शक्ति का अपने उसी रूप में वरण करते। इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया।

शिव ने अपने सरीसृपों को यहां छोड़ा

माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताने से पहले भगवान शिव ने अपने गले के शेषनाग को शेषनाग झील, पिस्सुओं को पिस्सु टॉप, अनंतनागों को अनंतनाग में छोड़ दिया, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा। इस प्रकार सभी जीवों को खुद से दूर कर उन्होंने माता पार्वती को उस गुफा में अमर होने का रहस्य बताया।

इसलिए शिव पहनते हैं मुंड की माला

भगवान शिव मुंड की माला क्यों धारण करते हैं? अमरत्व की कथा सुनाने से पहले भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि देवी अब तक आपके जितने जन्म हुए हैं, मैंने उतने ही मुंड धारत कर रखे हैं।

मुस्लिम ने की थी अमरनाथ गुफा की खोज

बूटा मलिक नामक एक मुस्लिम गडरिया एक दिन भेड़ चराते-चराते बहुत दूर निकल गया। बूटा स्वभाव से बहुत विनम्र और दयालु था। ऊपर पहाड़ पर उसकी भेंट एक साधु से हुई। साधु ने बूटा को एक कोयले से भरी एक कांगड़ी ( हाथ सेकनेवाला पात्र ) दिया। बूटा ने जब घर आकर उस कांगड़ी को देखा तो उसमें कोयले की जगह सोना भरा हुआ था। तब वह उस साधु को धन्यवाद करने पहुंचा। लेकिन वहां साधु नहीं मिले और एक गुफा दिखी।

साधु की जगह दिखाई दी गुफा

जब बूटा मलिक ने उस गुफा के अंदर जाकर देखा तो बर्फ से बना सफेद शिवलिंग चमक रहा था। उसने यह बात गांवालों को बताई और इस घटना के 3 साल बाद अमरनाथ की पहली यात्रा शुरू हुई। तभी से इस यात्रा का क्रम चल रहा है। बूटा मलिक के वंशज आप भी इस गुफा और शिवलिंग की देखरेख करते हैं।