अधिकार मिलने पर व्यक्ति किस तरह करता है उसका दुरुपयोग

ओशो
जब किसी व्यक्ति के पास अधिकार आते हैं तो वह उनका दुरुपयोग करता ही है। अगर वह अपने अधिकार का दुरुपयोग न करे यह हो नहीं सकता। यदि आपके पास कोई अधिकार है तो अपने फैसलों को एक बार देखें, क्या उनमें अधिकार का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है। छोटा सा छोटा अधिकार भी लोगों को भ्रष्ट बना देता है। एक कॉन्स्टेबल भी चौराहे पर खड़े रहकर अवसर पाने पर अपने अधिकार का दुरुपयोग करता है। जब आपके पास कोई अधिकार होता है तो उसका दुरुपयोग होता ही है। इसका एक उदाहरण इस तरह से ले सकते हैं कि जैसे आपका बेटा आता है और कहता है ”डैडी, क्या मैं बाहर खेलने जा सकता हूं?” तब आप कहते हो, नहीं लेकिन आप अच्छे से जानते हो और बेटा भी अच्छी तरह जानता है कि आप उसे जाने दोगे।

उसके बाद वह खिसकने लगता है और कूदने लगता है साथ में ठहाके भी मारने लगता है, “मैं जाना चाहता हूं।” तब तुम कहते हो, ”अच्छा, जाओ।” आप यह जानते हो कि पहले भी ऐसा ही होता आया है। बाहर जाने और खेलने में कोई बुराई नहीं है फिर आपने क्यों कहा, नहीं? आपके पास अधिकार है आप उसे दिखाना चाहते हो। फिर लड़के के पास भी कुछ अधिकार होता है। वह कूदने लगता है, वह झल्लाता है और वह जानता है कि वह समस्या उत्पन्न कर देगा। पड़ोसी सुनेंगे और लोग आपके बारे में बुरा सोचेंगे इसलिए कह देते हैं “अच्छा जाओ”। आदमी के हर आचरण में ऐसा होते हुए आप देखोगे। लोग अपने अधिकार को चारों ओर फेंक रहे हैं- या तो लोगों को उकसाने के लिए अथवा दूसरों के द्वारा लड़ाई करने हेतु उकसाने के लिए। यदि कोई आपको धमकाता है तो आप भी कहीं तुरंत कोई कमजोर व्यक्ति बदला लेने के लिए मिल जाता है। यदि ऑफिस में आपका बॉस धमकाता है तो घर आकर आप पत्नी को धमकाने लगोगे और यदि वह स्वतंत्रता आंदोलन वाली महिला नहीं है तो वह बच्चे का स्कूल से आने की इंतजार करेगी और फिर उसको धमकाएगी। यदि बच्चा पुरानी सोच रखता है, अमेरिकन सोच नहीं तो वह अपने कमरे में जाएगा और खिलौनों को तोड़ डालेगा क्योंकि उसके पास वही एक चीज है जिस पर वह खुन्नस निकाल सकता है।

यह सिलसिला यूं ही चलता रहता है यह पूरा खेल जैसा लगता है। यही वास्तविक राजनीति है। हरेक व्यक्ति के पास कुछ न कुछ अधिकार होता है- ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके पास कोई अधिकार नहीं। यहां तक कि अंतिम व्यक्ति के पास भी लात मारने के लिए कोई कुत्ता होता है इसलिए हरेक व्यक्ति राजनीति में जीता है। चाहे आप किसी राजनैतिक दल के सदस्य नहीं भी हो, उसका मतलब यह नहीं है कि आप राजनीतिक नहीं हो। यदि आप अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हो तो राजनीतिज्ञ हो और नहीं करते हो तो गैर-राजनीतिक। इसका खास ध्यान रखो कि अधिकारों का दुरुपयेाग न हो। इससे आपको एक नया प्रकाश मिलेगा, शांति मिलेगी और एकाग्र बनी रहेगी। इससे आपको स्वच्छता और निर्मलता मिलेगी।