अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने में इन लोगों ने किया है सबसे ज्यादा त्याग

संकलन: हरिप्रसाद राय
साठ साल पहले की बात है। मैग्नेटिक इक्वेटर से करीब होने के कारण थुंबा को अंतरिक्ष शोध केंद्र के रूप में चुना गया। लेकिन इसके अधिग्रहण में एक बड़ी समस्या थी। थुंबा मछुआरों और उनके व्यापार के लिए अहम जगह थी। इसके अलावा यहां पर सेंट मेरी चर्च, फादर का घर और एक स्कूल भी था। अधिकारियों का कहना था कि अंतरिक्ष शोध के लिए लोगों को वहां से विस्थापन के लिए राजी करना असंभव है। इसके लिए एक दिन वैज्ञानिक वहां के बिशप परेरा से मिले और अपनी बात उनके सामने रखी।

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बिशप परेरा ने कहा, ‘मेरा घर, बच्चों का घर, उनके माता-पिता का घर और भगवान के घर के अधिग्रहण की स्वीकृति देना मेरे लिए असंभव है? फिर भी आप लोग अगले रविवार की सुबह चर्च आइए।’ अगले रविवार की सुबह वैज्ञानिक विक्रम साराभाई डॉ. अब्दुल कलाम को साथ लेकर चर्च पहुंचे। प्रार्थना के बाद बिशप परेरा ने कहा, ‘वैज्ञानिक और पुजारी मानव कल्याण के लिए होते हैं। जिस माइक से मैं बोल रहा हूं, वह विज्ञान की ही देन है। विज्ञान के कारण ही डॉक्टर हमारा इलाज कर पाते हैं। विज्ञान और तकनीक हमारे जीवन को आसान बनाते हैं।’

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यह कहकर बिशप परेरा बोले, ‘विज्ञान और धर्म मनुष्य के शरीर और आत्मा की शांति के लिए प्रयासरत हैं। यहां आए दो वैज्ञानिक एक साल के अंदर आपका, मेरा, गॉड का घर लेना चाहते हैं। क्या हम अपना घर देने को तैयार हैं?’ पूरे चर्च में सन्नाटा छा गया। थोड़ी देर बाद पूरे चर्च से एक साथ आवाज आई, ‘हां, हम तैयार हैं।’ इसके बाद सभी ने बिना अपना पूरा इंतजाम किए वह जगह थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन के लिए छोड़ दी। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने में मछुआरों और बिशप का यह त्याग भारत के वैज्ञानिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।