पढ़ने का यह सिलसिला चलता रहा। युवा घंटों झील के समीप बैठकर पुस्तकें पढ़ता रहता। धीरे-धीरे उसे अंग्रेजी पुस्तकें पढ़ना बेहद अच्छा लगने लगा। अंग्रेजी पुस्तकें पढ़ते-पढ़ते कुछ समय में उसकी अंग्रेजी बहुत अच्छी हो गई। लगातार पढ़ने से उसे केवल पढ़ने की ही आदत नहीं लगी, बल्कि लेखन की भी आदत हो गई। एक दिन उसने अपनी कॉपी में कुछ पंक्तियां लिखीं और फिर मन की आंखों से एक रेलवे स्टेशन देखा, जिसे उसने नाम दिया मालगुड़ी। उसी स्टेशन में उसे एक पात्र और उसका दोस्त दिखा। वह अद्भुत पुस्तक थी, ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’।
इस पुस्तक के जरिए दुनिया ने एक अद्भुत लेखक को देखा। फिर तो वह जीवन भर लेखन करते रहे। वह पहले ऐसे अंग्रेजी लेखक थे, जिन्होंने पूर्णकालिक तौर पर लेखन को अपनाया था। लेखन ने उन्हें यश, धन, सम्मान सब कुछ दिया। आज पूरी दुनिया उन्हें आर.के. नारायण के नाम से जानती है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि अंग्रेजी का यह अद्भुत लेखक कभी इसी भाषा में फेल भी हुआ होगा। अंग्रेजी साहित्य के भारतीय लेखकों में नारायण का स्थान काफी ऊंचा है। – संकलन: रेनू सैनी