सत्य की तलाश कहां करें?

श्री श्री रविशंकर
कार्य को इस दुनिया में रखना चाहिए, लेकिन अपने दिमाग में नहीं घुसाना चाहिए। जब हमारी आंखें खुली होती हैं तो हम दृश्य को देखते हैं। लेकिन जब हम अपनी आंखें और अपना दिमाग बंद करते हैं, तब एक दूसरी ही दुनिया नज़र आती है। क्या आपने इस पर ध्यान दिया है? इसलिए ध्यान ही इसका तरीका है।

अभी मानिए आप बैठ कर सोच रहे हैं, ‘अरे मेरी बहू ने ये किया, मेरे बेटे ने मेरी इज्ज़त नहीं की, आदि-आदि।’ आप ये सब बातें पूरी रात बैठ कर सोच सकते हैं, अगली सुबह और अगला पूरा दिन ये बात आपको परेशान करती रहेगी। मैं ये कहता हूं, ‘वो जो भी कर रहे हैं उन्हें करने दीजिये, उसको वहां बाहर रहने दीजिये। जब आप अपनी आँखें बंद करते हैं तब आप अपनी ही दुनिया में होते हैं, वहां ये सब बातों को खुद को परेशान मत करने दीजिये।’ ये मुश्किल है, मैं जानता हूँ, ये इतना आसान नहीं है लेकिन ये ही वो दिशा है जिसमें हमें आगे बढ़ना है।

दो दुनिया हैं, और इन दो दुनिया के बीच में सत्य है। एक को मनोराज्यं कहते हैं- अपने मन का राज्य, और दूसरा है समाज – बाहर की दुनिया। समाज और मनो राज्य के बीच सत्य है।

साभार: wisdomfromsrisriravishankarhindi.blogspot.in