वास्तु और विज्ञान का संबंध, घर बनाते समय रखें ध्यान

क्यों रखें ईशान कोण में पानी?

वास्तु कहता है कि घर में पानी का स्रोत ईशान कोण में होना चाहिए। ईशान कोण में स्थित पानी के स्रोत पर पड़नेवाली सूर्य की किरणें पानी में पैदा होनेवाले हानिकारक बैक्टीरिया और किटाणुओं को नष्ट करती हैं। विज्ञान भी इस बात को स्वीकार करता है कि सूर्य की किरणों में हानिकारक किटाणुओं को नष्ट करने की शक्ति होती है।

पूर्ण दिशा में पेड़ नहीं लगाने चाहिए

पूर्व दिशा में वृक्ष और बड़े पत्तोंवाले पेड़ लगाने से सुबह का प्रकाश घर में सही तरीके से नहीं आ पाता। वहीं विज्ञान कहता है कि घर में सूर्य की रौशनी और ताजी हवा आना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

अग्नेय कोण में रसोई घर

अग्नेय कोण में रसोईघर बनाने की सलाह के पीछे भी सूर्य की रोशनी, किरणों और हवा का प्रवाह ही है। लेकिन अग्नेय कोण में पानी के स्रोत के लिए मना किया जाता है, यह वास्तु का नियम है क्योंकि वास्तु इसे अग्नि का स्थान मानता है।

पूर्व दिशा में आंगन क्यों?

जबसे मानव सभ्यता है, तभी से वास्तु है। इसके साक्ष्य हमें कई संस्कृतियों में देखने को मिलते हैं। पूर्ण दिशा में घर में आंगन रखने की सलाह वास्तु देता है ताकि यह स्थान भारी न हो। वहीं, विज्ञान कहता है ज्यादा समय तक घर में सूर्य की रौशनी, किरणें और ताजी हवा का आना घर के लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। इस कारण बीमारियों पर खर्च होनेवाले पैसे की बचत होती है।

पश्चिम की दीवार मोटी क्यों?

वास्तु कहता है कि घर में पश्चिम दिशा की दीवार मोटी होनी चाहिए, यह दिशा पूर्ण की तुलना में भारी होना अच्छा रहता है। वहीं, विज्ञान कहता है कि जहां उगते हुए सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं, वहीं दोपहर के वक्त तपते हुए सूर्य से अल्ट्रावाइलेट किरणें आती हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हैं। इसलिए पश्चिम दिशा की दीवार मोटी रखनी चाहिए।

सोते समय सिर दक्षिण में रखना

इंसान का सिर चुंबक के उत्तरी ध्रुव और पैर दक्षिणी ध्रुव की तरह कार्य करते हैं। सिर उत्तर की तरफ करके सोने पर पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से दोनों में विकर्षण पैदा होता है, जिससे शरीर का रक्त प्रवाह बाधित होता है। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर दिशा में करके सोने की सलाह दी जाती है।