वज्र देव दानव दलन जय जय जय कपि सूर जय जय बजरंगी, जय जय बजरंगी
जय जय बजरंगी, जय जय बजरंगी
लाल लंगोटा हाथ में सोटा
जिनका का रूप निराला
अंजनी का लाल, मेरा बजरंग बाला
राम नाम में मस्त रहे यह
जपे नाम राम की माला
अंजनी का लाल, मेरा बजरंग बाला
बाल समय में उदित रवि को
बाल समय में उदित रवि को
फल ही समझ कर खाया
धरती अंबर देख अंधेरा
जन-जन था घबराया
छोड़ रवि को बजरंगी ने
जग में किया उजाला
अंजनी का लाल, मेरा बजरंग बाला
लंका पहुँचकर बजरंगी ने
जब विंध्वंस मचाई
लिए पकड़ रावण ने
उनकी पूछ में आग लगाई
धूं -धूं जल गई लंका नगरी
हुए काल के काला
अंजनी का लाल, मेरा बजरंग बाला
स्वर्ण देह है अतुलित बल है
स्वर्ण देह है अतुलित बल है
जो बुद्धि वरदानी
जन-जन पहुंचाऊं में भी
राम की अमृतवाणी
कलयुग की काली छाया में
राम नाम उजियाला
अंजनी का लाल, मेरा बजरंग बाला
लाल लंगोटा हाथ में सोटा
जिनका का रूप निराला
अंजनी का लाल, मेरा बजरंग बाला
सीताराम सीताराम, सीताराम सीताराम
सीताराम सीताराम, सीताराम सीताराम
सीताराम सीताराम, सीताराम सीताराम
सीताराम सीताराम, सीताराम सीताराम