यात्रा के साथ तीर्थ भी: नैनीताल आएं तो यहां जाना ना भूलें

नैना देवी मंदिर

पौराणिक मान्‍यता है कि जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश पर्वत पर जा रहे थे तो यहां देवी सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए यहां शक्तिपीठ की स्‍थापना हुई। नैनीताल में नैनी झील के किनारे पर यह मंदिर स्थित है। यहां नैना देवी की प्रतिमा के साथ भगवान गणेश और काली माता की मूर्तियां भी स्‍थापित हैं।

हनुमान गढ़ी मंदिर

यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है हनुमान जी का यह मंदिर। इसे यहां के प्रसिद्ध संत बाबा नीम करौली ने सन 1950 में बनवाया था। यह तल्‍लीताल के दक्षिण में स्थित है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्‍त का खूबसूरत नजारा देखने भी लोग आते हैं।

गर्जिया देवी मंदिर

गर्जिया देवी का मंदिर नैनीताल जिले की रामनगर तहसील में स्थित है। मान्‍यता है कि यह मंदिर जिस टीले पर स्थित है वह कोसी नदी में बाढ़ के साथ बहकर आ रहा था तो भैरव बाबा ने उसे यहां रोक लिया। तब से यह मंदिर यही स्‍थापित हो गया। उसके बाद 1970 में जीर्णोद्धार कराया गया।

कैंचीधाम मंदिर

यह मंदिर नैनीताल जिले में अल्‍मोड़ा राजमार्ग के किनारे स्थित है। मान्‍यता है कि 24 मई, 1962 को बाबा नीम करौली ने यहां इस मंदिर की स्‍थापना की थी। इस मंदिर में हनुमानजी, भगवान राम और सीता के अलावा देवी दुर्गा जी के अन्‍य छोटे-छोटे मंदिर भी हैं। मंदिर के अलावा यहां ए‍क गुफा भी है। जहां बाबा नीम करौली जप-तप किया करते थे।

गोलू देवता मंदिर

नैनीताल से 15 किमी दूर घोड़ाखाल में गोलू देवता का मंदिर स्थित है। समुद्र तल से 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर के देवता गोलू यहां के स्‍थानीय लोगों के इष्‍टदेव माने जाते हैं। उन्‍हें भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। मान्‍यता है कि यहां भक्‍त मुकदमे जीतने के लिए स्‍टांप पेपर पर भगवान के दरबार में अर्जी लगाते हैं। मुराद पूरी होने पर भक्‍त यहां घंटा लगाकर जाते हैं और बलि भी देते हैं।