मां के गर्भ से नहीं जन्मे थे त्रेतायुग में पैदा हुए ये दो सगे भाई

सगे भाई थे दोनों

वाल्मीकि रामायण में सुग्रीव और बाली दोनों को सगा भाई बताया गया है। दोनों चेहरे और कदकाठी से भी एक समान ही दिखते थे। दूर से इन्हें देखकर पहचानने में मुश्किल होती थी कि सुग्रीव कौन है और बाली कौन है। ये दोनों एक ही मां की संतान थे और इनमें बहुत ही अधिक समानता थी, फिर भी इनके बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म मां के गर्भ से नहीं हुआ था।

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राक्षस से जुड़ी है इनके जन्म की कथा

बाली और सुग्रीव के जन्म की कथा एक राक्षस से जुड़ी है। इस राक्षस का नाम था ऋक्षराज। यह राक्षस ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था। इस पर्वत पर या इसके आस-पास के क्षेत्र में रहनेवाले लोग इस राक्षस के कृत्यों से बहुत परेशान थे। ऋक्षराज मनुष्यों और जानवरों किसी को भी नहीं छोड़ता था।

राक्षस अनजान था इस बात से

ऋष्यमूक पर्वत के पास ही एक तालाब स्थित था। इस तालाब की विशेषता के बारे में ऋक्षराज को जानकारी नहीं थी और एक दिन वह इस तालाब में नहाने चला गया। जब ऋक्षराज राक्षस नहाकर तालाब से बाहर निकला तो खुद को देखकर हैरात में पड़ गया। उसका शरीर एक सुंदर स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गया था।

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राक्षस था हैरान-परेशान

ऋक्षराज हैरान और परेशान होकर पर्वत पर बैठा हुआ था। उस समय देवराज इंद्र आकाश मार्ग से गुजर रहे थे। उनकी नजर जब सुंदर अप्सरा में बदल चुके राक्षस पर पड़ी तो उनका तेज उस ऋक्षराज राक्षस के बालों पर गिरा और उस तेज की दिव्यता के कारण एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम बाली पड़ा।

भोर काल में हुआ ऐसा

ऋक्षराज विचारों में उलझा हुआ पूरी रात उसी पर्वत पर बैठा रहा। सूर्योदय के समय जब सूर्यदेव आकाश मंडल में उदित हुए तो उनकी द़ष्टि अप्सरा के समान सुंदरी ऋक्षराज पर गई। सूर्यदेव ऋक्षराज पर मोहित हो गए और उनका तेज ऋक्षराज की ग्रीवा पर गिरा जिससे एक और बालक का जन्म हुआ जिसका नाम सुग्रीव हुआ।

यहीं बनाया साम्राज्य

ऋक्षराज के पास अब कोई और चारा नहीं था कि वह अपने पुराने रूप में वापस आ सके। इसलिए उसने बाली और सुग्रीव के पालन-पोषण पर ध्यान दिया और ऋष्यमूक पर्वत पर ही अपना साम्राज्य स्थापित किया। इस पौराणिक कथा के आधार पर ही कहा जाता है कि एक ही मां की संतान होने के बावजूद बाली और सुग्रीव का जन्म मां के गर्भ से नहीं हुआ था।