महाशिवरात्रि विशेष : इन मंदिरों का है पांडवों से नाता, ऐसी हैं यहां की मान्यताएं

पांडवों ने की थी इन मंदिरों की स्थापना

आज देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसी उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है। इस बार यह महाशिवरात्रि इसलिए भी खास है क्योंकि दो साल बाद बिना किसी पाबंदी के शिव भक्त मंदिर में ज्योतिर्लिंग का अभिषेक व पूजा-अर्चना कर रहे हैं। मान्यता है कि अगर भक्त प्राचीन शिवलिंग की पूजा करते हैं तो वह काफी पुण्यदायी माना जाता है। इसलिए कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त तीर्थ स्थलों पर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। कुछ शिव मंदिर तो भारत में द्वापर और त्रेता युग है, जिनमें से ज्यादातर का संबंध पांडवों से है। पांडवों ने 12 साल के वनवास के दौरान कई शिवलिंग स्थापित किए थे, जिनका आज भी काफी महत्व है। महाशिवरात्रि पर पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंगों के बारे में जानते हैं…

ममलेश्‍वर महादेव, हिमाचल प्रदेश

पांडव जब अपने वनवास पर थे तब उन्होंने कुछ वक्त हिमाचल प्रदेश में भी बिताया था। इस दौरान पांडवों ने ममलेश्‍वर महादेव की स्थापना की। यहीं पर भीम की मुलाकात हिडिंबा से हुई थी, जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। यह मंदिर 5000 साल से ज्यादा पुराना बताया है। इस मंदिर में भीम का ढोल और 200 ग्राम गेंहू का दाना मौजूद है। मान्यता है कि यह गेंहू का दाना पांडवों ने उगाया था। मंदिर में एक धुना भी है, जो महाभारत काल से निरंतर जल रही है।

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अघंजर महादेव मंदिर, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के खनियारा गांव में अघंजर महादेव मंदिर स्थित है। वनवास के समय में पांडव पुत्र अर्जुन ने भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन से इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की और फिर इस शिवलिंग की पूजा-पाठ से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अर्जुन को पशुपति अस्त्र दिया था।

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गंगेश्वर मंदिर, गुजरात

गुजरात के दीव शहर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर पदुम गांव में गंगेश्वर मंदिर स्थित है। गंगेश्वर नाम गंगा और ईश्वर से लिया गया है, इसका अर्थ है गंगा का भगवान। यह मंदिर अपने आप में अद्भुत मंदिर है। यह मंदिर समुद्र तट पर चट्टानों के बीच स्थित एक गुफा में है। यहां पांच शिवलिंग हैं, जिन्हें पांडवों ने अपनी दैनिक पूजा के लिए यहां स्थापित किए थे। उच्च ज्वार के दौरान ये शिवलिंग समुद्र में डूब जाते हैं और केवल कम ज्वार के दौरान दिखाई देते हैं, इस मंदिर को ‘समुद्र मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।

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भयहरण महादेव मंदिर, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पांडव पुत्र भीम ने अज्ञातवास के दौरान भयहरण महादेव मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भक्तों को भय और उलझन से मुक्ति मिलती है। मंदिर में शिवलिंग के अलावा हनुमानजी, शिव-पार्वती, संतोषी मां, राधा-कृष्ण, विश्वकर्मा भगवान, बैजू बाबा आदि का मंदिर भी है। यहां सावन व महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जनमानस की अपार भीड़ देखने को मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भीम ने राक्षस बकासुर का वध करने के इस शिवलिंग की स्थापना की थी।

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लाखामंडल मंदिर, उत्तराखंड

देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी की तट पर लाखामंडल मंदिर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लाक्षागृह से बच निकलने के बाद पांडव बहुत समय तक यहां रुके थे। इस दौरान उन्होंने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां दो शिवलिंग अलग-अलग रंगों और आकार के साथ स्थित हैं। खुदाई के दौरान कई ऐतिहासिक काल के शिवलिंग भी मिले थे। मंदिर के अंदर पार्वती के पैरों के निशान एक चट्टान पर देखे जा सकते हैं। मान्यता है कि यहां पर महाशिवरात्रि को जो भी श्रद्धालु आता है, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।