कृष्ण बोले, ‘तुम्हारा युद्ध धर्म बचाने को लेकर है। युद्ध में तो हानि होती ही है। लेकिन हां, युद्ध में अन्याय की जीत कभी नहीं होनी चाहिए। इसलिए यह प्रयत्न करो कि सदाचार, सत्य और न्याय पृथ्वी पर बना रहे।’ इस पर युधिष्ठिर बोले, ‘हे विश्व ज्ञाता! जब आप सब कुछ जानते ही हैं तो फिर विजय का उपाय भी बताइए।’ कृष्ण बोले, ‘आज का दिन बेहद शुभ है। आज श्रावण मास की पूर्णिमा है। तुम आज के दिन अपनी पूरी सेना के हाथों में रक्षा का सूत्र बांध दो। यह रक्षा का सूत्र अवश्य ही अधर्म पर धर्म की जीत कराएगा। पवित्र भावना से बांधे गए रक्षा सूत्र में बेहद शक्ति होती है। यह मृत्यु तक को मात दे सकता है।’
कृष्ण की बातें सुनकर युधिष्ठिर के चेहरे से तनाव की रेखाएं मिट गईं। उन्होंने अपनी संपूर्ण सेना के हाथों में रक्षा का पवित्र सूत्र बांधा। इससे सेना का जोश सातवें आसमान पर जा पहुंचा। इतिहास गवाह है कि महाभारत के इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई।