महात्मा बुद्ध ने बताया इस तरह इंसान खत्म कर सकता है अपनी सभी समस्या

संकलन: पूनम पांडे
एक बार अपने प्रवचन के दौरान बुद्ध ने एक रस्सी में गांठें लगा दीं और पूछा, ‘इस रस्सी में तीन गांठें लगा दी हैं। क्या यह वही रस्सी है, जो गांठ लगाने से पहले थी?’ एक शिष्य बोला, ‘यह तो हमारे देखने के तरीके पर है। रस्सी वही है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। पर अब इसमें तीन गांठें लगी हुई हैं, जो पहले नहीं थीं। इसलिए इसे बदला हुआ कह सकते हैं। मगर अंदर से इसका बुनियादी स्वरुप अपरिवर्तित है।’

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अब बुद्ध रस्सी के दोनों सिरों को एक दूसरे से दूर खींचने लगे और बोले, ‘इस प्रकार से इन्हें खींचने से क्या गांठें खुल जाएंगी?’ ‘नहीं-नहीं, ऐसे तो गांठें और भी कस जाएंगी।’ एक शिष्य ने बोला। बुद्ध ने कहा, ‘ठीक है, अब बताओ कि इन गांठों को खोलने के लिए क्या करना होगा?’ शिष्य बोला, ‘इसके लिए गांठों को गौर से देखना होगा कि इन्हें कैसे लगाया गया था। फिर इन्हें खोलने का प्रयास कर सकते हैं।’ यह सुनकर बुद्ध बोले, ‘मैं यही तो सुनना चाहता था। मूल प्रश्न यही है कि जिस समस्या में तुम फंसे हो, वास्तव में उसका कारण क्या है? बिना कारण जाने निवारण असंभव है।’

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बुद्ध बोले, ‘अधिकतर लोग बिना कारण जाने ही निवारण चाहते हैं। यह कोई नहीं पूछता कि उसे क्रोध क्यों आता है। लोग पूछते हैं कि वे अपने क्रोध का अंत कैसे करें? कोई यह नहीं पूछता कि भीतर अंहकार का बीज कहां से आया। लोग पूछते हैं कि अहंकार कैसे खत्म करूं?’ और फिर महात्मा बुद्ध ने शिष्यों को समझाया, ‘जिस प्रकार रस्सी में गांठ लगने पर भी उसका बुनियादी स्वरुप नहीं बदलता, उसी प्रकार मनुष्य में भी बुराई आने से उसके अंदर की अच्छाई खत्म नहीं होती। गांठ खोलने की तरह ही हम अपनी की समस्याएं भी हल कर सकते हैं।’