महक उठा घर बार मेरा माँ, इक तेरे आ जाने से: भजन (Mehek Utha Ghar Baar Meri Maa Ek Tere Aa Jane Se)

महक उठा घर बार मेरा माँ,
इक तेरे आ जाने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से,
किसी ना किसी बहाने से माँ,
किसी ना किसी बहाने से,
मेहक उठा घर बार मेरा माँ,
इक तेरे आ जाने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से ॥घर में तेरी पूजा करते,
मन से तुझको ध्याते माँ,
किसी ना किसी बहाने आओ माँ,
हर पल यही मनाते माँ,
हर पल यही मनाते माँ,
आज हुई है किरपा तेरी,
भूलूं ना मैं भुलाने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से ॥

हाथ कृपा का तेरे मैया,
सदा रहे घर बार में,
तुझको कभी ना भूलूं मैया,
सुख के इस संसार में,
सुख के इस संसार में,
सुख और दुःख तो तुझसे मैया,
कहता मैं ये ज़माने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से ॥

जैसे फूलों की खुशबू से,
महक उठा दरबार तेरा,
वैसे किरपा कर दे भवानी,
महक उठे परिवार मेरा,
महक उठे परिवार मेरा,
जब भी बुलाउं तुम आ जाना,
‘पंकज’ के माँ बुलाने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से ॥

महक उठा घर बार मेरा माँ,
इक तेरे आ जाने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से,
किसी ना किसी बहाने से माँ,
किसी ना किसी बहाने से,
मेहक उठा घर बार मेरा माँ,
इक तेरे आ जाने से,
इसी तरह ही आते रहना,
किसी ना किसी बहाने से ॥

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