भक्ति के लिए भी नौकर रखते हो?

मुनि तरुण सागर
एक दिन एक जिज्ञासु ने मुझसे पूछा कि मुनिश्री इस संसार में सबसे सुखी कौन है? मैंने उत्तर दिया- जिसे सोने के लिए नींद की गोली और जागने के लिए घड़ी के अलार्म की जरूरत नहीं होती, मेरी नजर में इस संसार का सबसे बड़ा सुखी व्यक्ति वही है। आज कर्ज लेकर झूठी शान दिखाने का नशा चल पडा है, यह ठीक नहीं है। कई बैंक लोन देने के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन याद रखना किश्तें चुकाते-चुकाते एक दिन खुद चुक जाओगे। जो फर्ज चुकाएं और कभी झूठी शान के लिए कर्ज न लें, वह मेरी नजर में सबसे सुखी है।

जो कठिन पल में मुस्कुराता है, अपना काम खुद कर लेता है, मंदिर तक नंगे पाव जाता है, मेरी नजर में वह सबसे बड़ा सुखी है। लाख घोड़ा गाड़ी, नौकर, चाकर, बंगले के मालिक ही क्यों न हों, मंदिर हमेशा नंगे पांव पैदल जाया करो। मंदिर में भगवान तुम्हारी सरलता और निर्मलता देखता है। आज कल इंसान इतना एहसान फरामोश हो गया है कि वह मंदिर में पूजा करने और भगवान को याद करने के लिए भी नौकर रखने लगा है। पूरे देश में यात्रा करने के बाद भी आज तक ऐसा कोई पुरूष नहीं मिला जो शादी करने के बाद पत्नी के सामने प्रेम प्रकट करने के लिए नौकर रखता हो। अरे नासमझो! जब इस सांसारिक रस्म के लिए नौकर नहीं रख सकते तो भगवान के लिए नौकर क्‍यों रखते हो।

जीवन की सफलता और सदैव अस्तित्व का अहसास करते रहने के लिए तीन काम स्वयं करने चाहिए। घर के एक छोटे से कोने में ही सही, रोजाना खुद झाड़ू लगाया करो। अपना तौलिया खुद धोया करो और माता-पिता, गुरु तथा ईश्वर की पूजा और सेवा भी खुद किया करो। इन कामों के लिए नौकर रखोगे तो जीवन में ईश्वर कृपा नहीं मिलेगी। अनावश्यक बातों पर तर्क करने की आदत के कारण इंसान का बेड़ा गर्क हो रहा है। जहां तर्क है वहां नर्क है और जहां समर्पण है वहां स्वर्ग है। वर्तमान में इस देश में अगर कुछ धर्मनिरपेक्ष है तो वह केवल क्रोध है। यह क्रोध हर मजहब के आदमी पर हावी है। क्रोध से नन्हे शिशु को पिलाया गया दूध और घर में पति अथवा किसी भी सदस्य को क्रोध के साथ कराया गया भोजन जहर बन जाता है।

साभार: tarunsagar.blogspot.in