जानेंगे कब भीम हार गए हनुमान से, पढ़े ये रोचक कहानी

बड़ी रोचक है कहानी, भीम और हनुमान की

महाकाव्‍य महाभारत में कई ऐसे रोचक प्रसंग म‍िलते हैं जो क‍ि न केवल हंसने पर मजबूर करते हैं। बल्कि कोई न कोई सीख भी देते हैं। जो हमारे जीवन में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखती है। ऐसी ही एक कहानी है भीम की और पवनपुत्र हनुमानजी की। इस लेख में हम आपको इसी रोचक कहानी से रूबरू करवा रहे हैं…

कहानी कुछ ऐसी है भीम के हार जाने की

कथा के अनुसार पांडव जब वनवास भोग रहे थे। तो उस समय एक द‍िन द्रौपदी आश्रम में बैठी हुईं थीं क‍ि तभी एक पुष्प उड़कर उनके पास आ गया। पुष्प की सुगंध द्रौपदी को इतनी पसंद आई क‍ि उन्‍होंने भीम को बुलाकर इस पुष्प को लाने के लिए कहा। उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए भीम पुष्प की खोज में वन की ओर निकल पड़े। पुष्प की खोज करते हुए भीम एक वन के द्वार पर जा पहुंचे। वन में जैसे ही भीम ने प्रवेश करने का प्रयास किया तो उनकी नजर रास्ते में लेटे वानर पर पड़ी। भीम ने वानर से आग्रह किया कि वे रास्ते से हट जाएं। लेकिन वानर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

ऐसे हुआ भीम का वानर से पर‍िचय

कहते हैं क‍ि भीम ने वानर से पुन: हट जाने को कहा। लेकिन इस बार वानर ने कहा कि वह बहुत कमजोर है, वह हिल नहीं सकता है इसलिए लांघ कर निकल जाओ। वानर के इस व्यवहार से भीम को क्रोध आ गया और अपनी शक्तियों के बारे में बताने लगे। भीम ने वानर को अपना परिचय दिया कि वे कुंती पुत्र हैं और पवन उनके पिता है। हनुमान का भाई हूं। लेकिन ये सब सुनकर भी वानर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। भीम का क्रोध बढ़ने लगा और उन्होंने वानर से कहा कि अधिक क्रोध न दिलाए नहीं तो उनको इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।

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जब वानर ने कराया भीम को गलती का अहसास

इसपर भी वानर ने कुछ नहीं कहा। बल्कि पहले तो कुछ देर वह मौन साधे रहा। बाद में उन्‍होंने भीम से क‍ि यद‍ि वह अध‍िक शीघ्रता में हैं तो वह उनकी पूंछ उठाकर जा सकते हैं। भीम ने गुस्से में आकर वानर की पूंछ हटाने की कोशिश की लेकिन वे इसे हिला भी नहीं पाए। तब भीम को लगा क‍ि ये कोई साधारण वानर नहीं है। भीम हाथ जोड़कर खड़े हो गए और वानर से परिचय पूछा। तब भी वानर ने भीम को बताया कि वह कोई और नहीं बल्कि हनुमान हैं।

भीम ने पूछा पवनसुत से रास्‍ता रोकने का कारण

तब भीम ने पवनसुत से पूछा क‍ि आख‍िर उन्‍होंने रास्‍ता क्‍यों रोका? तब हनुमानजी ने भीम को बताया कि आगे विशेष वन है। यह रास्ता देवताओं का है और यह मनुष्यों के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए उन्हें तुम्हारी रक्षा के लिए आना पड़ा। इसके बाद भीम को हनुमानजी ने उस पुष्प के बारे में बताया कि ज‍िस पुष्‍प की तलाश में वह हैं वह कहां से म‍िल सकता है। जैसे ही भीम ने वह पुष्‍प ल‍िया हनुमानजी कहा क‍ि अब वह जा सकते हैं।

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तब द‍िया था व‍िजयश्री का आशीर्वाद

पुष्‍प लेकर जाते समय भीम ने हनुमानजी से कहा क‍ि वह उनके व‍िराट स्‍वरूप के दर्शन करना चाहते हैं। इसपर हनुमानजी ने विराट रूप धारण किया और भीम को दर्शन द‍िया। साथ ही उन्‍हें गले से लगाया। कहते हैं क‍ि हनुमानजी के गले लगाने से भीम की शक्ति और बढ़ गई। इसके बाद ही हनुमानजी ने भीम को महाभारत के युद्ध में विजयश्री का भी आशीर्वाद द‍िया।