अगर साइकिल न खोती तो दुनिया को न मिल पाता मोहम्‍मद अली जैसा महान मुक्‍केबाज

1954 में जब कैसियस बारह बरस का था, एक दिन अपने दोस्तों के साथ लूईविल के कोलंबिया सभागार में होम शो देखने गया। प्रदर्शनी में फर्नीचर और घरेलू उपकरणों के अलावा लड़कों को मुफ्त पॉपकॉर्न जैसी दिल खुश करने वाली चीजें भी मिलीं। जब कैसियस बाहर आया तो उसकी चहेती लाल-सफेद साइकिल गायब हो चुकी थी। परेशान कैसियस एक पुलिस वाले के पास शिकायत लेकर पहुंचा। गुस्से में उसने पुलिस वाले से कहा कि जिस किसी ने उसकी साइकिल चुराई है उसे वह पीटना चाहता है।

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उस पुलिस वाले का नाम था जो मार्टिन। वह पुलिसकर्मी दरअसल उसी सभागार के भूतल में बने जिम में मुक्केबाजी की कक्षाएं चलाता था। उसने कैसियस को कक्षा से जुड़ने का आमंत्रण दिया ताकि कैसियस अपने गुस्से को साध कर उसे एक सकारात्मक दिशा दे सके। कैसियस ने पाया कि उसे न केवल मुक्केबाजी पसंद है, बल्कि उसे उसमें मजा भी आने लगा है। जो मार्टिन के साथ प्रशिक्षण शुरू करने के कुछ ही समय बाद एक स्थानीय टीवी कार्यक्रम ‘टुमॉरोज चैम्पियंस’ में कैसियस को शामिल किया गया।

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इसके बाद महज बारह साल का कैसियस अपने से बड़े रॉनी ओ‘कीफी का सामना करने अखाड़े में उतरा। वह मुकाबला जीता और मुक्केबाज के रूप में उसका अद्भुत जीवन आरंभ हुआ। कैसियस को उसकी खोई हुई साइकिल तो कभी नहीं मिली, पर उस घटना के बाद उसने अपनी समूची ऊर्जा मुक्केबाजी में लगा दी। कभी-कभी तो मार्टिन को सुबह चार बजे ही जिम खोलना पड़ता, ताकि कैसियस स्कूल जाने के पहले अपना अभ्यास कर सके। यही कैसियस आगे चलकर दुनिया भर में मोहम्मद अली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मोहम्मद अली को तो सब जानते हैं लेकिन कम लोग यह जानते हैं कि उस रात कैसियस के गुस्से को उस पुलिसवाले ने सही दिशा न दी होती तो शायद दुनिया मोहम्मद अली के कौशल से अनजान ही रह जाती।

संकलन : एंथोनी परेरा